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नेपाल में 7.1 तीव्रता का भूकंप: भारत में भी महसूस हुए झटके

नेपाल में फिर थर्राई ज़मीन, झटकों से सहमे लोग

नेपाल में 16 जनवरी 2025 को एक ज़बरदस्त भूचाल आया, जिसकी तीव्रता 7.1 मापी गई। यह भूकंप नेपाल के पश्चिमी क्षेत्र में केंद्रित था और इसकी वजह से पूरे इलाके में खौफ़ और अफ़रातफ़री का माहौल पैदा हो गया। इस भूचाल के असर से भारत के बिहार, उत्तर प्रदेश और दिल्ली जैसे इलाकों में भी झटके महसूस किए गए।


भूकंप के नुक़सान का अंदाज़ा

नेपाल में इस भूकंप ने भारी तबाही मचाई है। अब तक 32 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है, और सैकड़ों लोग ज़ख़्मी हैं। मकानों, मस्जिदों, और इमारतों को नुक़सान पहुँचा है। राहत और बचाव दल मौके पर काम कर रहे हैं। सरकार ने इस आपदा को “क़ौमी सतह पर अहमियत” देने की बात कही है और मदद के लिए अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों से भी गुहार लगाई है।


भारत पर असर

भूकंप के झटके नेपाल के अलावा भारत के सीमावर्ती राज्यों में भी महसूस किए गए।

  • बिहार: पटना और आसपास के इलाकों में लोग अपने मकानों से बाहर निकल आए।
  • उत्तर प्रदेश: लखनऊ और वाराणसी में भी लोग दहशत के चलते सड़कों पर आ गए।
  • दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में भी झटके महसूस किए गए, हालांकि कोई बड़ा नुक़सान नहीं हुआ।

भूकंप का केंद्र और गहराई

नेपाल के भूकंप केंद्र की गहराई लगभग 10 किलोमीटर थी, जो इसे बेहद खतरनाक बनाता है। विशेषज्ञों के मुताबिक़, यह भूकंप “हिमालयी क्षेत्र की प्लेटों के टकराने” की वजह से आया है।


राहत और बचाव कार्य

नेपाल सरकार ने फ़ौरन राहत अभियान शुरू कर दिया है। सेना, पुलिस और एनडीआरएफ़ की टीमों को तैनात किया गया है। ज़ख़्मियों को अस्पताल पहुंचाने के लिए हेलीकॉप्टर और एंबुलेंस का इंतज़ाम किया गया है। प्रभावित इलाकों में खाने-पीने की चीज़ें और दवाइयाँ पहुँचाई जा रही हैं।


अंतरराष्ट्रीय समुदाय की प्रतिक्रिया

नेपाल की इस त्रासदी पर कई देशों ने दुख व्यक्त किया है। भारत ने सबसे पहले मदद का हाथ बढ़ाया और एनडीआरएफ़ की टीमें नेपाल भेज दी हैं। संयुक्त राष्ट्र ने भी इसे एक “गंभीर आपदा” घोषित किया है और ज़रूरी मदद देने की पेशकश की है।


भूकंप से बचाव के सुझाव

भूकंप के दौरान जान-माल के नुक़सान को कम करने के लिए इन सावधानियों का पालन करें:

  1. भूकंप आते ही किसी खुले स्थान पर जाएं।
  2. अगर आप घर के अंदर हैं, तो मजबूत टेबल या दरवाजे के नीचे छिपें।
  3. पंखों, लाइट्स और शीशों से दूर रहें।
  4. ऊँची इमारतों से तुरंत बाहर निकलने की कोशिश करें।

यह भूचाल क्यों अहम है?

नेपाल हिमालयी क्षेत्र में स्थित है, जो “भूकंप-प्रवण ज़ोन” में आता है। यहाँ प्लेटों की हलचल अक्सर बड़ी आपदाओं का सबब बनती है। यह घटना एक बार फिर हमें याद दिलाती है कि भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए तैयारी और जागरूकता बेहद ज़रूरी है।

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