Table of Contents
चर्चा में क्यों भारत-मालदीव रक्षा सहयोग?
भारत के रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह जी ने मालदीव के रक्षा मंत्री के साथ बातचीत के दौरान रक्षा उपकरण और प्लेटफॉर्म प्रदान करके मालदीव की रक्षा क्षमताओं को बढ़ाने के लिये भारत की प्रतिबद्धता की पुष्टि की।
यह कदम भारत की “नेबरहुड फर्स्ट” पॉलिसी और दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय सुरक्षा और रक्षा सहयोग को मज़बूत करने को दर्शाता है।
भारत-मालदीव रक्षा सहयोग कैसे है?
ऐतिहासिक संदर्भ:
- भारत मालदीव का प्रमुख रक्षा साझेदार रहा है, जो संकट के समय प्रायः प्रथम प्रतिक्रियादाता के रूप में कार्य करता है।
- वर्ष 1988 में ऑपरेशन कैक्टस द्वारा प्रदर्शित किया गया, जहाँ भारत ने मालदीव में तख्तापलट के प्रयास को रोकने के लिये हस्तक्षेप किया।
- वर्ष 2004 की सुनामी के दौरान भारत ने त्वरित सहायता प्रदान की।
नीतियाँ और दृष्टिकोण:
- “नेबरहुड फर्स्ट” पॉलिसी और सागर (क्षेत्र में सभी के लिये सुरक्षा और विकास) दृष्टिकोण भारत के क्षेत्रीय सुरक्षा को बढ़ावा देने के सक्रिय दृष्टिकोण को रेखांकित करते हैं।
रक्षा परियोजनाएँ:
- मालदीव राष्ट्रीय रक्षा बल (MNDF) के लिये समग्र प्रशिक्षण केंद्र (CTC) और उथुरु थिला फाल्हू (UTF) एटोल में सिफावरु तटरक्षक “एकथा” बंदरगाह एवं मरम्मत सुविधा का निर्माण।
- अक्तूबर 2023 में भारत ने मालदीव के तटरक्षक जहाज हुरावी की निःशुल्क मरम्मत की घोषणा की।
- मालदीव को तटीय रडार प्रणाली प्रदान की गई, जिसमें 15.8 मिलियन अमेरिकी डॉलर के अनुदान से निर्मित 10 रडार स्टेशन शामिल हैं।
प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण:
- भारत MNDF की लगभग 70% प्रशिक्षण आवश्यकताओं को पूरा करता है।
- 1,500 से अधिक MNDF कार्मिक भारतीय रक्षा अकादमियों में प्रशिक्षित हुए हैं।
- “एकुवेरिन” और “एकथा” जैसे द्विपक्षीय अभ्यास तथा “दोस्ती” जैसे त्रिपक्षीय अभ्यासों से परिचालन तालमेल और अंतरसंचालनीयता को बढ़ावा मिलता है।
संस्थागत तंत्र:
- वर्ष 2016 में रक्षा सचिव स्तर पर वार्षिक रक्षा सहयोग वार्ता (DCD) शुरू हुई।
- भारत और मालदीव के बीच 5वीं रक्षा सहयोग वार्ता सितंबर 2024 में नई दिल्ली में आयोजित हुई।
भारत-मालदीव द्विपक्षीय संबंध
राजनीतिक संबंध:
- भारत, 1965 में स्वतंत्रता के बाद मालदीव को मान्यता देने वाले पहले देशों में से एक था।
- दोनों देश SAARC के संस्थापक सदस्य और SAFTA के हस्ताक्षरकर्त्ता हैं।
व्यापार और अर्थव्यवस्था:
- वर्ष 1981 में एक व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर हुए।
- भारत ने 2024 में मालदीव को 400 मिलियन अमेरिकी डॉलर की सहायता और 3,000 करोड़ रुपए का द्विपक्षीय मुद्रा विनियमन किया।
- भारतीय स्टेट बैंक ने 100 मिलियन अमेरिकी डॉलर के ट्रेजरी बिल जारी किये।
- भारत वर्ष 2023 में मालदीव का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बन गया।
पर्यटन:
- पर्यटन, मालदीव की अर्थव्यवस्था का प्रमुख आधार है।
- भारत, मालदीव में पर्यटकों का सबसे बड़ा स्रोत बन गया।
- मार्च 2022 में, ओपन स्काई अरेंजमेंट पर सहमति व्यक्त की गई।
भारत-मालदीव सहयोग का क्या महत्त्व है?
भौगोलिक महत्त्व:
- हिंद महासागर में मालदीव की रणनीतिक अवस्थिति इसे भारत के लिये एक अहम साझेदार बनाती है।
- प्रमुख शिपिंग मार्गों से निकटता के कारण भारत का 50% बाह्य व्यापार और 80% ऊर्जा आयात प्रभावित होता है।
आर्थिक और सामाजिक लाभ:
- भारत, चावल, दवाइयों और बुनियादी ढाँचा सामग्री का प्रमुख आपूर्तिकर्त्ता है।
- ऑपरेशन नीर (2014) और कोविड-19 संकट के दौरान भारत की सहायता ने इसकी विश्वसनीयता मज़बूत की।
बाहरी प्रभाव का प्रतिकार:
- भारत-मालदीव सहयोग क्षेत्र में चीन के प्रभाव को संतुलित करता है।
भारत-मालदीव रक्षा संबंधों में चुनौतियाँ
भू-राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता:
- चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) और ‘स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स’ पहल भारत के लिये चिंता का विषय हैं।
- मालदीव के बुनियादी ढाँचे में चीनी निवेश, जैसे सिनामाले ब्रिज, भारत के सामरिक प्रभुत्व को चुनौती देता है।
आंतरिक राजनीतिक परिवर्तन:
- वर्ष 2023 में “इंडिया आउट” अभियान ने भारत विरोधी भावनाओं को उजागर किया।
- मालदीव के राजनीतिक नेतृत्व में बदलाव से रक्षा प्राथमिकताएँ प्रभावित हुई हैं।
सुरक्षा संकट:
- पाकिस्तान समर्थित जिहादी गुटों और ISIS जैसे समूहों की उपस्थिति भारत के लिये प्रत्यक्ष सुरक्षा संकट उत्पन्न करती है।